नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाओं के हित में बनाए गए कानूनों का दुरुपयोग उनके पतियों के खिलाफ उत्पीड़न, धमकी या जबरन वसूली के लिए नहीं किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता पूर्व पति-पत्नी के बीच वित्तीय समानता लाने के लिए नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य आश्रित महिला को एक उचित जीवन स्तर प्रदान करना है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी एक मामले की सुनवाई करते हुए की, जिसमें एक महिला ने अपने पूर्व पति से स्थायी गुजारा भत्ता के रूप में 12 करोड़ रुपये की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ता का उद्देश्य केवल महिला की वित्तीय स्थिति को सुधारना है, न कि इसे उत्पीड़न या धन वसूली के एक तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाए।
हिंदू विवाह को पवित्र संस्था माना गया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह एक पवित्र संस्था है, जो परिवार की नींव है, और इसे किसी व्यावसायिक उद्यम की तरह नहीं देखा जा सकता। न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति पंकज मीठा की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि एक पूर्व पति अपनी मौजूदा वित्तीय स्थिति के आधार पर अनिश्चितकाल तक अपनी पूर्व पत्नी का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य नहीं हो सकता है।
न्यायालय ने महिलाओं से यह भी कहा कि वे इस बात को समझें कि कानून के ये सख्त प्रावधान उनके कल्याण के लिए बने हैं, न कि उनके पतियों को दंडित करने, धमकाने या जबरन वसूली करने के उद्देश्य से।
क्या था मामला?
यह मामला एक ऐसे जोड़े के बीच था, जो विवाह को इस आधार पर समाप्त कर रहे थे कि उनका रिश्ता पूरी तरह से टूट चुका था। पति को आदेश दिया गया कि वह अपनी अलग हो चुकी पत्नी को 12 करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता दे, जो कि उसकी सभी दावों का अंतिम निपटान होगा।
पत्नी ने दावा किया कि उसके पति की कुल संपत्ति 5,000 करोड़ रुपये है, जिसमें अमेरिका और भारत में कई व्यवसाय और संपत्तियां शामिल हैं। पत्नी ने कहा कि पति ने अपनी पहली पत्नी को भी अलग होने पर कम से कम 500 करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
कोर्ट की ओर से अहम टिप्पणी
अदालत ने कहा कि उसे केवल पति की आय पर विचार नहीं करना है, बल्कि पत्नी की आय, उसकी उचित आवश्यकताएं, आवासीय अधिकार और अन्य संबंधित कारकों को भी ध्यान में रखना है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने पति के खिलाफ पत्नी द्वारा दायर किए गए आपराधिक मामलों को भी खारिज कर दिया।
इस फैसले के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि गुजारा भत्ता केवल महिलाओं के कल्याण के लिए है, और इसका दुरुपयोग नहीं किया जा सकता।